Wednesday, November 18, 2009

जिंदगी के लिए बत्तियां बुझा दो!


इस्रायल का टी-२० अर्थात बीसम- बीसा

`जिंदगी चाहिए तो बत्तियां बुझा दो।´ जी हां, इस्रायल सरकार ने अपने देश की जनता को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए यह संदेश भी दिया है।

इस्रायल सरकार के एक केबिनेट मंत्री उजी लानदाउ जिनके पास अवस्थापना विकास विभाग का जिम्मा है, ने अपने मंत्रालय कीओर से एक कार्य योजना तैयार की है जिसमें देश की जनता से बिजली बचाने की अपील की गई है। लानदाउ का कहना है कि विद्युत उत्पादन के सबसे अच्छे तरीकों में एक तरीका यह भी है कि हर स्तर पर बिजली की बचत की जाए।



इसी के साथ इस्रायल सरकार ने सन् 2020 तक देश की कुल उर्जा खपत में 20 प्रतिशत कटौती करने का लक्ष्य भी सामने रख दिया है।

है हैरतअंगेज बात। सन् 2020 तक इस्रायल की जनसंख्या अभी के ७०-७२ लाख से लगभग ३० प्रतिशत अधिक होगी, उद्योग धन्धे भी बढ़ जाएंगे, जाहिर सी बात है कि बिजली की खपत भी बढ़ जाएगी। लेकिन नहीं, सरकार ने सन् 2020 तक 20 प्रतिशत बिजली खपत कम करने की ठान ली है।

लानदाउ कहते हैं- हम इस्रायलियों का जीवन स्तर संसार में बहुत बेहतर और उंचे स्तर का है। हमें इसे आगे भी बनाए रखना है। किंतु हमारी जनसंख्या बढ़ रही है और हमारे संसाधन सीमित हैं। जाहिर है कि हमें अपनी जरूरतों पर नियंत्रण करना है। आखिर ये प्रकृति भी तो हमारी है, अगर हम इसकी रक्षा के लिए आगे नहीं आए तो कौन आगे आएगा।

लानदाउ यहीं पर नहीं रूकते। उनके पास प्रचार के नुस्खे भी खूब हैं जिसका इस्तेमाल वे अपने भाषणों में घूम-घूमकर कर रहे हैं। वह कहते हैं-`विद्युत निर्माण का हरित उपाय मुझसे पूछिए, मैं आपको मुफ्त में तरीका बताता हूं। आप बिजली की जितनी बचत करेंगे, उतनी अधिक हरित बिजली पैदा होगी! इस पर कोई खर्च नहीं आता है।´

और लानदाउ तकनीकी, वैधानिक, वित्तीय और समाज आदि सभी स्तरों पर सरकार की ओर से बिजली बचाओ टी-20 में जुट गए हैं। तकनीकी स्तर पर देश के प्रत्येक घर में अधिक खपत वाले बल्ब और टयूबलाइट बदलकर नए उद्दीपक बल्ब और टयूब लगाए जा रहे हैं। योजना में हर घर और प्रत्येक कार्यालय को शामिल किया जा रहाहै। सरकार का मानना है कि इस योजना के लागू होते ही देश के कुल विद्युत खपत की मात्रा तुरंत आधी हो जाएगी।

लानदाउ ने आवास-मकान निर्माण नीति को भी संशोधित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। अब घरों-कार्यालयों को इस प्रकार की संरचना में ढाला जाएगा कि बिजली की जरूरत कम से कम पड़े, खासतौर पर दिन में प्रकाश के लिए सूर्य की रोशनी से काम चलाया जा सके।

प्रस्ताव में उन लोगों के लिए विशेष प्रोत्साहन राशि की घोषणा भी की जाएगी जो बिजली बचत के उपायों-तकनीकी को प्रभावी तौर पर लागू करेंगे अथवा किसी नवीन उपाय तकनीकी को क्रियान्वित कर उसके लाभ सभी को दिखा सकेंगे। प्रस्ताव में शाश्वत उर्जा स्रोतों जैसे सौर उर्जा, पवन उर्जा आदि के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का फैसला किया गया है। प्रस्ताव में लघु उद्यमों, मझोले और विशालकाय उद्योगों की बिजली खपत को भी एक दायरे में लाने की बात कही गई है।

यही नहीं तो स्कूली शिक्षा में उर्जा बचत को बाकायदा पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने और शिक्षित बच्चों के माध्यम से परिवारों-अभिभावकों को भी उर्जा बचत अभियान से जोड़ने का वृहत् कार्यक्रम निर्धारित किया गया है।

हम लोग भारत में क्रिकेट का टी-20 यानी बीसमबीसा खेलते हैं लेकिन इजरायल सरकार की बोलें तो बिजली की बचत ही अब उनका टी-20 यानी बीसमबीसा बन गया है।उल्लेखनीय बात यह है की आज की तारीख में जहाँ इस्राएल लगभग ६० बिलियन किलोवाट बिजली पैदा कर रहा है वहीं भारत लगभग ७०० बिलियन किलोवाट बिजली पैदा कर रहा है। दोनों के उत्पादन में १० गुने से ज्यादा का अन्तर है लेकिन जब जनसँख्या देखेंगे तो दोनों देशों में जमीन आस्मां का अन्तर है।कहाँ ७० लाख और कहाँ सवा अरब।

अपनी थोड़ी जनसंख्या के लिहाज से प्रचूर मात्रा में बिजली पैदा करने वाला एक देश बिजली बचाने के लिए इतना व्याकुल है कि देश की सारी नीतियाँ बदलने को बेताब है। दूसरी ओर हम हैं की चेतने का नाम ही नहीं ले रहे जबकि हमारे लाखों गाँव आज भी अंधेरे में सिसकने को मजबूर हैं।

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