Wednesday, September 2, 2009

छंटे तिमिर, खिले तो उपवन

उठे जलजला जले जरा फूटे यौवन
छंटे तिमिर तरे जन खिले तो उपवन।
मन कानन में बाजे बंशी़, भोरे रे
गाय रंभाती,हमें बुलाती, दुह ले रे
यह सूर्य किरण, चमके घर~आंगन
भाग्य जगा है सुन~सुन तो ले रे।
उठे जलजला जले जरा फूटे यौवन
छंटे तिमिर तरे जन खिले तो उपवन।

1 comment:

  1. बड़ी मनभावन सुबह हुई है :-)..बधाई

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