Saturday, September 5, 2009

अभी भगीरथ जिन्दा हैं, नचिकेता शेष हैं

उम्र से बड़प्पन नहीं आता
दिमाग से भी नहीं,
ये दिल का सवाल है भाई
दिल बड़ा है तो
आदमी भी बड़ा हो जाता
है।

जगत में आए हो तो
कुछ ऐसा कर जाओ कि
आने वाली नस्लें तुम्हें
सम्मान से याद करें, जब
तुम मिलो अपने चाहने वालों से
तो तुम्हारी आँखें ना झुकें


यदि कहीं तुम उंचे उठ जाओ
भाई ना किसी को सताओ,
अनुशासन के कोड़े की अपनी मर्यादा
कुछ काम प्रेम से भी


इस बात को ठीक समझ लो
कि विचार पर आघात या
फिर संवाद में करना विवाद
या किसी की कलम तोड़ देना
अभिव्‍यक्ति पर जुल्‍म ढाना है,
इससे तो महानता
नहीं ही मिलेगी
इससे बड़ी हरकत
नहीं हो सकती है कायराना।


दम है तो लेखन में आओ
संवाद की दम रखो
और आजमाओ, पता चल जाएगा
कि पानी कितना है
पद का अभिमान मत पालो
कल तो है ही इसको जाना॥


बड़े बड़े रावण और कंस
जानते हो क्यों मारे गए?
क्‍योंकि उन्हें उनके अहं
ने गुमान से इतना भर दिया
कि उन्हें दिखना बंद हो गया
कि सच क्या है? व्यक्ति का विचार
क्या है, किस धरातल पर खड़ा है।


प्रतिभा है तो पराजय कहां
परिश्रम है तो थकना भी क्या,
सरिता है तो रूकेगी नहीं
सागर है तो नदी का क्‍या।


सबको समाहित कर ले जो
चलाए सही राह पर
उसे ही महान मानो,
दूसरों की त्रुटियां गिना कर
अपनी जगह बनाए जो
उसे तो हैवान जानो।
डाह, ईर्ष्‍या से कभी कोई
क्या महान बन सका है?
पीड़ित मानवता को क्या
ऐसा आदमी सुख दे सका है?
ये तो निरी नीचता है,
समाज के संघर्ष पर जो
सुख भोगने की सोचते हैं
अपना कुछ किया धरा नहीं
काम निकला नहीं कि
जगत से मुंह मोड़ते हैं।
बताओ भला! कैसे गिरे इंसान हैं
शर्म को बेचकर पी गए
भाइयों के जीवित रहते ही
उनकी कमाई को लीलते हैं।


अरे कुछ तो धर्म सीखें,
इतने कृतघ्न ना बनें,
दम है तो अखाड़े में लड़ें
अकेले ही धुरंधर ना बनें।


पर हे प्रभु!
हम ये गलती कभी ना करें
हम अभिमान छोड़ दें,
ये झूठी शान छोड़ दें
क्योंकि कलियुग है फिर भी
दया का, धर्म का, सत्य का
अभी राज्य मरा नहीं है
अभी भगीरथ जिंदा हैं,
अभी नचिकेता शेष हैं।


अग्नि की लपट उठे
सारा करकट जल मिटे
इसके पहले ही अपना कर्कट
भी अग्नि को अर्पित कर दो
और तब संभलकर होलिका के
चारों ओर
घूम-घूमकर परिक्रमा करो,
नहीं तो झुलसने का खतरा है
इसी में आशीष है, यही परंपरा है।

2 comments:

  1. Bhut hi achey vichar hai.....
    esey jari rakhey bhut log hai. Es vichardhara ke..

    ReplyDelete
  2. achha ye vichardhara ka manch, bhai sahab apke kavi rup se pahali bar parichit hua, gayak rup se to parichit tha

    ReplyDelete